व्ही.एस.भुल्ले विलेज टाइम्स समाचार सेवा। अगर इतिहास पर जायें तो, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि इतिहास आज नहीं तो कल अवश्य स्वयं को दोहराता है। कहते है सृजन, सेवा कल्याण के लिए सत्तायें भी बदलती रही है और व्यवस्थायें नया रूप लेती रही हैमगर सत्य अनादिकाल से आज भी भोले-भाले भावुक यथावत है। अगर आज सत्य के साक्षी रहते भी लोग भ्रमित होते है, तो यह उन लोगों का दुर्भाग्य कहा जायेगा।
जो स्वयं के जीवन को समृद्ध, खुशहाल तथा सुनहरे सपने और सर्वकल्याण को साक्षी देखना चाहते है। मगर दु:ख और दर्द तब होता है जब लोग सत्य साक्षी होने के बावजूद अपना मार्ग भटक लक्ष्य खो देते है। सत्य यह है कि भूत, वर्तमान या भावुक देश में, सत्ता भविष्य का आकलन जो भी हो। मगर तब न अब हम न तो अकूत संपदा आध्यात्म, प्रतिभाओं से बांझ थे न ही आज है। जरूरत आज उनके संरक्षण, सम्बर्धन की सच यह है कि हम पहले भी सशक्त समृद्ध, खुशहाल थे और आज भी है और हमारा महान भू-भाग भी वहीं है। मगर यह तभी संभव है जब व्यक्ति, परिवार और वैचारिक उन्माद, अहम, अहंकार से निकल हम निष्ठापूर्ण अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रमाणिक जबावदेही के साथ कर स्वयं को सार्थक, सफल, सिद्ध कर सके और सशक्त, समृद्ध, खुशहाल जीवन का मार्ग सुनिश्चित कर सके। कहते है कि जीवन को सार्थक, सफल सिद्ध करने 5-50 वर्ष नहीं, सिर्फ एक वर्ष का समय ही काफी होता है। बशर्ते हम अपनी प्राकृतिक संपदा, विधा, विद्धवान, प्रतिभाओं को सम्मानजनक अवसर दें, खेमशोधशिवलि जल सभा में संस्कृति / सैम उन्हें अहम योगदान के लिए तैयार कर संरक्षित, सम्बंधित करें और इस संपदा की पहचान अंको के आधार पर न होकर प्रदर्शन के आधार पर हो। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आज जिस तरह से सत्ता के लिए संस्कारों का चीरहरण हो रहा है। ऐसे में समझने वाली बात हर समझदार जागरूक नागरिक को यह होना चाहिए कि कैसे हम अच्छेसच्चे कर्तव्य सेवाभावी, सर्वकल्याण सोच के जनप्रतिनिधियों को चुन सभासद के रूप में उन्हें लोकतंत्र की कतंत्र की सर्वोच्च सभा तक पहुंचाये। यह सच है। कि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव का आधार कर्म या धर्म युद्ध में तब्दील हो। ऐसे में लोकतंत्र की महासभा की रक्षा भी हर नागरिक का कर्तव्य है। क्योंकि जिस तरह से सत्ता के लिए संस्कारों के चीरहरण पर स्वार्थवत सभासद चुप है। ऐसे में अगर हम भी चुप रहे और मतदान करने से चूके तो निश्चित ही न तो हमारा, न ही हमारे बच्चे और आने वाली पीढ़ी का जीवन, समृद्ध, खुशहाल रहने वाला हैयहीं आज इस महान भूभाग और महान संस्कृति के वंशजों और विरासत के उत्तराधिकारियों को समझने वाली बात होना चाहिए। जय स्वराज