भोपाल, अगस्त /बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने के लिए एक दशक पहले मंजूर किए गए विशेष पैकेज की राशि का सदुपयोग न होने की वजह से यह इलाका अब भी बदहाली के दौर में है। बुंदेलखंड के मध्य प्रदेश वाले हिस्से पर 2100 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च हो चुकी है, मगर कोई भी विभाग ब्यौरा देने तैयार नहीं है। यह मामला अब नीति आयोग तक पहुंच गया है और उसने राज्य योजना आयोग से खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र मांग लिया है।
बुंदेलखंड पैकेज के मामला पर नीति आयोग ने पवन घुवारा के दस्तावेजों के आधार पर राज्य योजना आयोग के सचिव एवं इकोनॉमिक ऑफिसर बुंदेलखंड पैकेज नीति आयोग को कार्यवाही हेतु पत्र क्र याचिका डी पी एल एन जी/ई/2019/00475दिनांक 21/7/2019 के माध्यम से बुंदेलखंड पैकेज मामले को संज्ञान में लिया है बुंदेलखंड पैकेज से किए गए कार्यों की उपयोगिता प्रमाण पत्र केंद्र सरकार के पास जमाना ना होना दुसरी ओर कार्य मूल्यांकन मुख्य तकनीकी परीक्षक विजिलेंस द्वारा की जांच रिपोर्ट दी गई जिसमें तमाम खमीया उजागर और भस्टाचार संबंधित विभागों ने विभागीय कार्रवाई के नाम पर अभी तक शासन- को गुमराह कर रखा है और फाइलों को फाइलों के नीचे दबा के रख दिया जबकि बुंदेलखंड के विकास हेतु विकास की आई हुई राशि का जिस प्रकार से दुरुपयोग हुआ उस से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है कुपोषण भुखमरी गरीबी अन्य विकास कार्य विभाजित हो गए हैं क्योंकि 1296 नल जल योजनाओं में, 350 स्टामडेमो में ,पशुपालन के कार्यों में ,वेयरहाउस मंडी निर्माणों में वन विभाग के तालाबों के साथ स्कूटरओं मोटरसाइकिलो आदि के नंबरों पर पांच पांच टनों के पत्थरों की ढुलाई फाइलों में दर्शाया ढुलाई का काम किया में, डैम निर्माण के साथ जल संसाधन विभाग ने जिस प्रकार से नहरों के निर्माण में इसी प्रकार कृषि विभाग द्वारा डीजल पंप ओं के साथ साथ बलराम तालाब कपिलधारा कूप आदि कृषि योजनाओं में, कितनी गड़बड़ियां की गई हैं यह बरसों से उजागर हो चुकी हैं लेकिन अभी तक विधि सम्मत कार्यवाही से जिम्मेदार वंचित हो रहे सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस की प्रदेश इकाई के सचिव पवन घुवारा ने बुंदेलखंड पैकेज में हुई गड़बड़ी के मामले को कई बार उठाया और राज्य योजना आयोग से वस्तु स्थिति साफ करने को कहा, मगर नतीजा कुछ नहीं निकला। उसके बाद घुवारा ने इस मामले की शिकायत नीति आयोग से की। घुवारा का आरोप है कि विशेष पैकेज की राशि के बड़े हिस्से को खर्च किया जा चुका है, मगर संबंधित विभाग उपयोगिता प्रमाण पत्र के संदर्भ में जानकारी और कराए गए कामों का ब्यौरा तक देने को तैयार नहीं हैं।
घुवारा ने विभागों द्वारा कराए गए विभिन्न कार्यो का उपयोगिता प्रमाण-पत्र जारी न किए जाने की शिकायत नीति आयोग से की। इस पर नीति आयोग ने एक अगस्त को राज्य योजना आयोग के उप सचिव को निर्देश जारी किया कि निर्माण कार्यो की जानकारी घुवारा को देने के साथ ही आयोग को भी भेजें। राज्य योजना आयोग को संबंधित विभागों के उपयोगिता प्रमाण पत्रों का ब्यौरा नीति आयोग को भेजना होगा।ज्ञात हो कि केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार के समय राशि मंजूर हुई थी, जिसे उत्तर प्रदेश के सात जिलों और मध्य प्रदेश के छह जिलों पर खर्च किया जाना था। पैकेज की राशि खर्च करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर थी। पैकेज के तहत मध्य प्रदेश के छह जिलों -सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ, पन्ना और दतिया- के लिए 3860 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इस राशि से जल संसाधन, कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, उद्यानिकी, वन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, पशुपालन, मत्स्य-पालन, कौशल विकास आदि विभागों के जरिए सरकार को अलग-अलग काम कराने थे उक्त संबंध में पवन घुवारा ने राष्ट्रीय नीति आयोग को जन याचिका के माध्यम से संज्ञान लेने हेतु अनुरोध किया था ।।