सोयाबीन एवं मक्का फसल में पौध संरक्षण


बैतूल, 21 अगस्त 2019 | कृषि विज्ञान केन्द्र बैतूल के वैज्ञानिकों द्वारा खरीफ  की प्रमुख फसलें सोयाबीन एवं मक्का फसल में सामयिक कीट रोग प्रबंधन की सलाह दी गई है।
सोयाबीन में इस समय हरी अर्धकुण्डलक इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, तना मक्खी के साथ-साथ सफेद मक्खी का प्रकोप आरंभिक अवस्था में है। साथ ही पर्णचित्ती रोग भी दिखाई दे रहा है। सोयाबीन फसल में इन कीटों एवं रोग के प्रबंधन हेतु लेम्डासायहेलाथ्रिन थायोमेथाक्जाम 125 से 150 मि.ली./हे. या बीटासायफ्लूथ्रिन इमिडाक्लोप्रिड 350 मि.ली./हे. के साथ में कोजेब 1000 ग्राम/हे. का छिडक़ाव करें।
मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म नाम के कीट का प्रकोप सतत् जारी है। यह कीट पत्तियों में छिद्र कर पौधे के महय भाग को नष्ट करता है।
फॉल आर्मी वर्म के प्रबंधन हेतु फ्लूबेंडामाइट 300 ग्राम/हे. या थायोडीकार्प 300 ग्राम/हे. का छिडक़ाव करें।
इस कीट के अलावा मक्के में शीथ ब्लाइट रोग का आक्रमण हो चुका है। इस रोग में पत्तियों का पर्णवृन्त (शीथ) अचानक सूखने लगता है। बाद में पूरा पौधा ही सूखता है। इस रोग के अलावा जीवाणु जन्य तना सडऩ भी कहीं-कहीं देखा जा रहा है। इस रोग में तना पिलपिला होकर सड़ जाता है एवं अल्कोहल की गंध आती है।
इन दोनों बीमारियों के प्रबंधन हेतु रोगग्रस्त पौधों को बाहर करें एवं कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1000 ग्राम/हे. का छिडक़ाव करें।



सावधानियां-
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1. कीटनाशक या फफूंदनाशक के साथ पोषक तत्व या खरपतवारनाशी रसायन नहीं मिलाएं।
2. खरपतवारनाशी रसायनों को दोबारा उपयोग नहीं करें।
3. आवश्यकता होने पर निंदाई करें।