ग्वालियर। आज मानव जीवन किस प्रकार का बन रहा है। अहंकार में झूला झूल रहा है। जिस प्रकार सोडा बॉटल में अंटी फंसी होती है। इससे अंदर की हवा बाहर नहीं आती। उसी प्रकार हमारे अंदर अहंकार रूपी हवा भरी है। उसे अंटी रूपी कसाय बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं। जिनवाणी रूपी बाहरी हवा को अंदर नहीं जाने दे रहा है। जहां तक हम अपनी आत्मा को शुद्ध नहीं करेंगे तब तक हमारा उद्धार नहीं होगा। अहंकार से वशीभूत हम इस भव में ही उलझ रहे है। अहम हमारे विकास का सबसे बड़ा अड़ंगा है, इसे हटाना होगा। यह विचार जैन मुनिश्री संस्कार सागर महाराज ने आज सोमवार को उपग्वालियर लोहमंडी स्थित श्री लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर में सिद्धचक्र विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि हम देखते हैं अभिमान में कैसे रावण का सब कुछ चला गया। गौतम स्वामी अहम में थे और अहम छूटा तो अर्हम बन गए और बाहुबली ने अहम छोड़ा तो केवल ज्ञान प्राप्त हो गया तो हमें भी अंहकार को छोडऩा है। मुक्त बनना है इसके लिए हमें अंहकार को छोडऩा होगा। मुनिश्री के चरणो में श्रीफल मंदिर समिति के अध्यक्ष पदमचंद जैन, महामंत्री देवेद्र जैन, दिलीप जैन, नवरंग जैन, अभिलाश जैन, राहुल जैन, मनीश जैन, अमित जैन, अलोक जैन, रवि लाला जैन, राजुल जैन, प्रवक्ता सचिन जैन ने श्रीफल चढ़ाकर आषिर्वाद लिया।
गाजे बाजे के साथ मंगल कलष व पूजन द्रव्य यात्रा निकाली, महिलाओ नृत्य ंिकया
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि विधान के पहले दिन सुबह उपग्वालियर लोहमंडी स्थित लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मदिर से गाजे बाजे के साथ घटयात्रा निकाली गई। घटयात्रा में सबसे आगे युवा हाथों में जैन ध्वज लेकर एवं महिलाएॅ, पुरूशवर्ग व बच्चे नृत्य करते हुए चल रहे थे। घटयात्रा गंज निवासी पूजन द्रव्यदाता धमेंद्र जैन दिलीप जैन यहॉ पहुॅची। उनके निवास से मंगल कलष यात्रा में पूजन द्रव्य एवं मुख्य मंगल कलष महिलाएॅ लाला केसरिया सॉडीयों में सिर पर रखकर चल रही थी। यहॉ मंगल कलष यात्रा जैन मंदिर से प्ररंभा होकर किला गेट चैराह, गंज होते हुए वापस कार्यकम स्थल जैन मंन्दिर पहुॅची। जहॉ मुनिश्री एवं विधानचार्य षषिकांत षास्त्री के मार्ग दर्षन में विधि विधान से भाजपा के वरिश्ठ नेता पारस जैन परिवार ने ध्वजरोहण कर षुभारंम किया।
मंगल स्थापन के साथ किया अभिशेक व विधान में चढ़ाए अघ्र्य
विधानचार्य पं. षषिकांत षास्त्री ने मंत्र उच्चारण के साथ इंद्रो ने भगवान पाष्र्वनाथ का षुध्द जल से अभिशेक जयघोश के साथ किया। षांतिधार धमेंद्र जैन दिलीप कुमार जैन ने की। वही सिध्दचक्र महामंडल विधान के पूजन मंढाने पर महिलाओं के द्वारा मंडप पर मुख्य मंगल कलष की स्थापन एवं दीप प्रज्वलित किया। इसके बाद इंद्र-इंद्राणियों ने पूजा अर्चना के द्वारा श्री जिनेन्द्र भगवान को आठ महाअघ्र्य समर्पित किये।
प्रतिदिन होगे यह कार्यक्रम
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि 04 से 12 नबंवर तक प्रतिदिन प्रात: 6:30 बजे से जाप्यानुश्ठान, प्रात 7 बजे से श्री जिनेन्द्र भगवान का अभिशेक षांन्तिधार, 8:30 मुनिश्री के प्रवचन नित्यपूजन व सिध्दचक्र महामंडल विधान होगा। वही षाम 7 बजे से महाआरती, षास्त्र प्रवचन एवं संास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगे।