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समय प्रबंधन के द्वारा हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं:- रेणू तिवारी

ग्वालियर। तिरंगे को सलामी देने की इच्छा वह भी राजपथ नई दिल्ली पर एक सपना होता है। इस सपने को साकार करने के लिये कठिन परिश्रम करना पड़ता है, जिसके लिये एन.एस.एस. स्वयं सेवक पसीना बहाकर 6 राज्यों के पूर्व गणतंत्र दिवस परेड षिविर विवेकानंद नीडम ग्वालियर में मन में एक ही जज्वा है, राजपथ पर तिरंगे के सामने सलामी देना। 6 राज्यों (मध्यप्रदेष, उत्तरप्रदेष, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, झारखण्ड) के 8 लाख स्वयं सेवकों में से कई स्तर के चयन के बाद 200 स्वयं सेवक इस षिविर में सम्मिलित हुये हैं। पहले इनका चयन महाविद्यालय स्तर पर, इसके उपरान्त जिला स्तर, फिर विष्वविद्यालय स्तर, इसके पश्चात् राज्य स्तर पर चयनित हुये हैं। जो आज अपने-अपने प्रदेषों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। बौद्धिक सत्र में मुख्य अतिथि श्रीमती रेणु तिवारी कमिष्नर चम्बल संभाग, वक्ता डॉ. ओमवीर सिंह कुल सचिव आई.टी.एम., षिविर संचालक डॉ. अषोक श्रोति युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय, संगठन व्यवस्था जीवाजी विष्वविद्यालय समनवयक एन.एस.एस. डॉ. रविकांत अदालत वाले उपस्थित थे।
पूर्व गणतंत्र दिवस परेड़ षिविर में 200 छात्र-छात्रायें कठिन परिश्रम कर उस राजपथ के लिये पसीना बहा रह हैं। 200 में से 40 स्वयं सेवकों का चयन दिल्ली परेड के लिये किया जायेगा जहाँ पर जाना एक स्वप्न के समान होता है। साथ ही परेड़ में इन स्वयं सेवकों को एक-एक दिन 26 जनवरी के पश्चात् माननीय महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति आदि के साथ भोजन पर आमंत्रित किया जाता है, और साथ ही अतिथियों के साथ ग्रुप फोटो होता है। इस परेड़ में ऐसे मौके को कोई भी स्वयं सेवक नहीं गवांना चाहता है। उसको जब मौका मिलता है। इन षिविरों में वह अपना मुख्य रुप से परेड की रिहर्सल पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है।
राजपथ पर 26 जनवरी की परेड देखने के लिये लाखों लोग आते हैं। साथ ही महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री व अधिकारीयों के साथ प्रतिवर्ष कोई न कोई विषेष आमंत्रित विदेषी मेहमान मुख्य अतिथि होता है। जहां 110 देषों के चैनलों पर इसका सीधा प्रसारण किया जाता है। जिसके लिये पूरा भारतवर्ष कठिन परिश्रम करता है। इस राजपथ परेड में जितनी भी यूनिट परेड करती हैं, सभी डिफेन्स की होती हैं। केवल एक एन.एस.एस. ही एक ऐसी यूनिट है जो नॉन डिफेन्स की होते हुये भी उस राजपथ पर मार्च-पास करती है। इसलिये इनको अधिक परिश्रम करना पड़ता है, क्योंकि परेड़, इनके एन.एस.एस. शेड्यूल में नहीं होती है।
बौद्धिक सत्र में कमिष्नर रेणू तिवारी ने स्वयं सेवकों से कहा कि मैंने भी एन.एस.एस. षिविर किये हैं और जब मुझे मालूम पड़ा कि मुझे इन स्वयं सेवकों के बीच जाना है, तो मैं तुरन्त तैयार हो गयी। क्योंकि एन.एस.एस. के स्वयं सेवक स्वयं अनुषासित होते हैं। यह स्वयं सेवक अपने जिस लक्ष्य की तरफ चल रहे हैं। उससे अन्दर तक पहुँचकर जीने की कोषिष करें जिससे सफलता अवष्य मिलेगी। हमारे अन्दर जो भी गुणों के साथ अवगुण भी है, उनका भी ध्यान रखते हुये आगे बढऩा चाहिये। समय प्रबंधन के द्वारा हम अपने जीवन को जरुर सफल बना सकते हैं। खेलना हमारे जीवन के लिये बहुत आवष्यक है, हम जिसके लिये जी रहे हैं, उसको सही रख पायें उसके लिये इस प्रकार के षिविर करना चाहिये।
कार्यक्रम में परेड प्रषिक्षक राहूल सिंह परिहार, कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 संजय कुमार पाण्डेय, सी.आर.पी.एफ. से आये प्रषिक्षक रतन सिंह सिकरवार, हरिज्ञान सिंह, श्रीमती गंगाताई जाधव, डॉ. मंजू सिंह वीर, आदि लोग उपस्थित थे ।