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उपग्वालियर लोहमंडी जैन मदिंर में सिद्धचक्र महामंडल विधान में सिद्धो की आराधना हुई

ग्वालियर। कभी दुख व संकट आए तो अपने भीतर समता रखना, कदापि विचलित नहीं होना, भयभीत होकर गलत कार्य नहीं करें। प्रभु की शरण में आना चाहिए। दुख में सारे सहारे बेसहारे हो जाते हैं तो प्रभु को याद करें। दुख कभी भगवान नहीं देते, यह तो तुम्हारे द्वारा किए गए कर्म का परिणाम होते हैं। यदि सुख आ जाए तो भी प्रभु को भूलना नहीं चाहिए। लगातार प्रभु की भक्ति का स्मरण ही सुख को और बढ़ा देता है। प्रभु से यही कामना करनी चाहिए कि मेरे कारण किसी को भी दुख न हो। यह विचार जैन मुनिश्री संस्कार सागर महाराज ने आज दूसरे दिन मंगलवार को उपग्वालियर लोहमंडी स्थित श्री लाला गोकुलचंद जैसवाल दिगंबर जैन मंदिर में सिद्धचक्र विधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। 
मुनिश्री ने कहा कि भगवान की इच्छा के अनुसार चलना चाहिए। भगवान जो पसंद करता है उसके अनुसर जीवन की क्रिया करना चाहिए। क्योकि जिसके पास हमे पहुॅचना है उसकी पसंद अनुसार हमे कार्य करना पडेगा। यदि हम विपरीत आचारण करेगे तो हम जिसके पास पहुचना चाहते है वो हमसे दूर भागेग और वो हमसे प्रयास करेगा कि इससे और दूर रहें क्योकि इसके आचार और विचार मुझे सूट नही करेगे। इसकी वजह सिर्फ इतनी ही है कि हम वह कर रहें है जो भगवान नही चाहता है। इसलिए हमें वह आचारण करना चाहिए जो भगवान को पसंद है। मुनिश्री के चरणो में श्रीफल मंदिर समिति के अध्यक्ष पदमचंद जैन, महामंत्री देवेद्र जैन, दिलीप जैन, नवरंग जैन, अभिलाश जैन, राहुल जैन, मनीश जैन, अमित जैन, अलोक जैन, रवि लाला जैन, राजुल जैन, प्रवक्ता सचिन जैन ने श्रीफल चढ़ाकर आषिर्वाद लिया।
जयकारो के साथ भगवान पाश्र्वनाथ का अभिषेक, उतारी महाआरती
जैन समाज प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि महोत्सव के विधानचार्य पं. षषिकांत शास्त्री ने मंत्रउच्चरण के साथ में भगवान पाष्र्वनाथ का षुध्द जल से प्रथम अभिशेक सौधम इंद्र मनीश जैन सहित इंद्रो जयकारो के साथ किया। मुनिश्री ने अपने मुख्यबिंद से भगवान की षंातिधार षाष्वत जैन ने की। अभिशेक के उपरांत भगवान की महाआरती महिलाओ ने सामूहिक रूप से की। सिध्दचक्र महामंडल विधान श्रध्दाभाव के साथ प्रारंभ किया गया।   
महोत्सव के दूसरे दिन इंद्रा-इंद्राणियो ने मिलकर 16 अघ्र्य किये समर्पित 
इस विधान में सौभाग्य मती महिलाओ ने अश्ट मंगल पूजन कव मढाने पर स्थापिक किए। इंद्रा-इन्द्राणियो ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर मुकुट और गले में माला पहनकर भक्ति भाव के साथ पूजा आर्चन कर सिध्दप्रभू की आरधान करते हुए 16 महाअघ्र्य भगवान जिनेन्द को समर्पित किए। 
प्रतिदिन होगे यह कार्यक्रम
जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि 04 से 12 नबंवर तक प्रतिदिन प्रात: 6:30 बजे से जाप्यानुश्ठान, प्रात 7 बजे से श्री जिनेन्द्र भगवान का अभिशेक षांन्तिधार, 8:30 मुनिश्री के प्रवचन नित्यपूजन व सिध्दचक्र महामंडल विधान होगा। वही षाम 7 बजे से महाआरती, षास्त्र प्रवचन एवं संास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगे।