कैदियों द्वारा पैदा मशरूम की बाजार में डिमांड

ग्वालियर। जेल की चारदीवारी के अंदर मशरूम की खुशबू से कुछ बंदियों का जीवन रोशन हो सकता है। जी हां अभी हाल ही में ऐसे बंदी जो आदतन अपराधी नहीं हैं और सिग्गल क्राइम में सजा काट रहे हैं। इन बंदियों की मदद का बीड़ा एक सामाजिक संस्था, जेल प्रबधन व कृषि विभाग ने उठाया है। बंदियों की मदद के लिए सामाजिक संस्था ने कृषि विभाग की मदद से जेल में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया है। खेती का उद्देश्य इन बंदियों को इस तरह तैयार करना है कि जेल से बाहर निकलने के बाद वह अपने इस हुनर का उपयोग कर जीवन को सरल कर सकेंगे और फिर से अपराध की दुनिया में कदम नहीं रखेंगे। सेन्ट्रल जेल में लगातार सुधार के कार्यक्रम चलते रहते हैं। वैसे भी जेलों को सुधार गृह कहा जाता है। इस सुधार कार्यक्रम में उनको ही शामिल किया जाता है जो सिंगल क्राइम वाले हैं। जिनसे अनजाने में कोई क्राइम हो गया हो। पिछले कुछ दिनों से सेन्ट्रल जेल ग्वालियर में सामाजिक संस्था ज्योति भावना महिला स्वास्थ्य कल्याण समिति द्वारा प्रशिक्षण देकर बंदियों को मशरूम के गुर सिखाए जा रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद बंदियों द्वारा तैयार मशरूम की पहली खेप बाहर आ गई है। अभी मशरूम की बिक्री महिला थाना सहित शासकीय कार्यालयों में की जा रही है। इसके साथ ही मशरूम को बेचने के लिए बाजार में भी प्रयास किए जा रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक देते हैं प्रशिक्षण
बंदियों द्वारा जेल में उगाई जा रही मशरूम के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रशिक्षण देने के साथ ही बीज, दवा तथा अन्य सामग्री उपलध कराई गई है। कृषि कॉलेज से वैज्ञानिक लगातार निरीक्षण करने के साथ ही बंदियों को मशरूम की देखभाल के लिए पूरा प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिससे भविष्य में वे दूसरे बंदियों को प्रशिक्षित कर सकें। वहीं उगाई गई मशरूम को बाजार में बिकवाने की जिम्मेदारी सामाजिक संस्था ज्योति भावना महिला स्वास्थ्य कल्याण समिति उठाई है।